दसवीं - माफ कर दो माई बाप

 


ज़्यादा लंबा - चौड़ा लिख कर टाइम खोटी नहीं करूंगा पर कुछ बातें लिखनी ही थीं इसलिए लिख रहा हूं। हालांकि बहुत लेट हो गया पर it's okay! अपन कौन सा अख़बार में लिख रहे हैं?

तो साहिबान "दसवीं" फ़िल्म हिट भई थी, और अभिषेक बच्चन के लिए अपने मन में एक सॉफ्ट कॉर्नर है इसलिए देख ली।

शुरुआत तो अच्छी ही हुई थी, अच्छी यानी मनोरंजक थी, सार्थक नहीं। सीएम चौधरी साहब को एक घोटाले में जेल हो जाती है। वो अपनी पत्नी को अपनी गद्दी पर बैठा कर जेल चले जाते हैं। पत्नी पहले तो घबराती है पर फिर इतना आनंद आता है कि अब वो गद्दी छोड़ना ही नहीं चाहती, चाहे इसके लिए अपने पति के खिलाफ़ षड्यंत्र ही क्यों न करना पड़े।

जेल में नई जेलर आई है जो बेहद सख़्त है। वो चौधरी की सारी सुविधाएं ख़त्म करके उसे आम क़ैदी की तरह रखती है और उससे काम भी करवाती है। एक जबर्दस्ती ठूँसी गई नाटकीय घटना के बाद चौधरी को धुन सवार हो जाती है 10वीं कक्षा पास करने की। वो पढ़ाई शुरू करता है जेल में ही। पढ़ने के लिए ऐसा लालायित होता है कि हम अपने आप से शर्मिंदा होने लगते हैं। घनघोर आश्चर्य की बात कि एक हरियाणवी नेता जो 8वीं तक पढ़ा है वो दसवीं की पढ़ाई अंग्रेज़ी माध्यम में करता है, लिखने वाले को 121 तोपों की सलामी दी जाए। और ये भाई साहब यहीं नहीं रुके, जेल में उसे इंग्लिश मीडियम में सब्जेक्ट एक्सपर्ट्स भी मिल जाते हैं, और ऐसे एक्स्पर्ट्स जो बाहर चिराग लेकर ढूँढने पर भी नहीं मिलते। और सुनो, चौधरी साहब सारे सुब्जेक्ट्स अङ्ग्रेज़ी में ही पढ़ते हैं और सबसे कठिन विषय उन्हें लगता है हिन्दी। हिन्दी उसे समझ ही नहीं आती।

मैं इतना कन्फ्यूज हो गया कि हंसूं या बुक्का फाड़ के रोऊं!

क्या इस फिल्म को ऑस्कर के लिए नहीं भेज सकते क्या? पिलीज!

मतलब इतना इतराते हैं और किन चमनों को लेखक समझते हैं? करोड़ों की फिल्म बना डाली और एक को भी नही पता कि ऐसा नहीं होता है। अरे हमारे मध्य परदेस में अंग्रेजी में MA करे आदमी को भी अंग्रेज़ी नही आती है, और हरियाणा कोई अमरीका में थोड़ी है। 

बॉलीवुड में ऊपर के लेवल पे विचार और अनुभव से दीवालिया लोगों का कब्ज़ा हो गया है इसीलिए मैन स्ट्रीम फिल्में इतनी वाहियात बन रहीं हैं। अरे इससे बेहतर तो मनमोहन देसाई बना लेते थे। 

चौधरी की शिक्षा को खींच खांच के जैसे तैसे फिल्म पूरी हो जाती है। चौधरी का ऐसा हृदय परिवर्तन होता है कि वो जगह जगह शिक्षा के गुण गाने लगता है। इधर इंजीनियरिंग करके लोग घुइयां छील रहे और चौधरी साहब दसवीं करके ही लहालोट हो जाते हैं।

कुछ भी बना दिया है जिसका वास्तविकता से दूर दूर तक कोई संबंध नहीं। किसी नेता के साथ ऐसा व्यवहार संभव नहीं। ये परी कथा है, ऐसे न लोग होते हैं ना घटनाएं होती हैं। 

मैंने पहले भी लिखा था कि एक लाइन की कहानी सबके दिमाग में आ जाती है, किसी डूड के मन में आया होगा कि यार ऐसा करते हैं एक नेता को दसवीं पढ़ने की धुन सवार हो जाती है, वो भी जेल में, तो अचानक आसपास के डूड्स और डूडेज बोले होंगे wow bro, awesome bro, great bro....

बस इसके बाद उसको खींचना चालू किया, क्योंकि उनमें से किसी ने हरियाणा भी नही देखा होगा, न किसी नेता को जानते होंगे। सब कुछ स्टीरियो टाइप है।

अभिषेक जंचे हैं। निमरत कौर का अभिनय लाजवाब है, यामी गौतम अच्छी दिखती हैं। मनु ऋषि हमेशा ही अच्छा काम करते हैं।

बाकी बॉलीवुड को यही लोग डूबोएंगे जब तक सही लेखकों को नहीं पहचानेंगे।

#Dasvin #AbhishekBachchan #YamiGautam #NimratKaur 

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