इतिहास - history of the world part 2




इतिहास क्या है (What is History)?

मुझे ऐसा लगता है कि इतिहास विषय का जो उद्देश्य वाकई में है, उसे कोई नहीं जानता। इतिहास का उपयोग राजनीति के लिए या फिर थोथे अहंकार के पोषण के लिए ही किया जाता है, जबकि इतिहास पढ़ने या पढ़ाने का उद्देश्य सिर्फ़ और सिर्फ़ यही है कि हमें मालूम हो इंसान ने अतीत में क्या भूलें कीं हैं, उनका क्या परिणाम हुआ है, और वे भूलें फिर से क्यों नहीं दोहराई जानी चाहिए। लेकिन इंसान उन भूलों से चिपक जाता है, उन पर गर्व करने लगता है और यहीं इतिहास असफल हो जाता है। आज के दौर में तो और भी भयावह परिस्थिति सामने है। इतिहास को अपने हिसाब से तोड़ा-मरोड़ा जा रहा है। मिथकों को, काव्यों को इतिहास बताया जा रहा है, और हमारे देश में इसे समझने की सामान्य बुद्धि का बहुसंख्य में अभाव है। 

यहाँ मैं कोशिश करूँगा, विश्वसनीय स्त्रोत के ज़रिये जो भी जानकारी या ज्ञान मुझे मिला है उसे साझा करूँ। आपको पूर्वाग्रह मुक्त हो कर इसे पढ़ना होगा।  

इतिहास और मिथक (Hystory and Mythology)

सबसे पहली बात ये कि हिस्ट्री और mythology में क्या अंतर है?



हिस्ट्री तथ्यों पर आधारित होती है जिसके पीछे गहन शोध होता है। 

जैसे एक ही उदाहरण से दोनों को समझें तो इतिहास की नज़रों में इंसान की उत्पत्ति नहीं हुई वो evolve हुआ। प्रकृति के विकास क्रम में चिम्पांजी के वंश में आगे चलकर एक हिस्सा इन्सानों में परिवर्तित हुआ। जिसे आज होमो सैपियन कहा जाता है। पर इंसान भी एक ही तरह से विकसित नहीं हुआ, उसके भी 3 और भाई थे। इसको ऐसे समझें कि गधा और घोडा एक ही परिवार के सदस्य हैं और हजारों वर्ष पहले इन दोनों के पूर्वज एक ही थे। इतिहास में किसी समय उनमें विभाजन हुआ और दो अलग प्रजातियाँ बन गईं। 

इसी तरह हमारे परिवार के चार सदस्य हुए homo sapiens (यानि हम), homo rudolfensis (East Africa), homo erectus (East Asia) और homo neaderthalensis (Europe and western Asia). आगे हम देखेंगे कि बाकी तीन का क्या हुआ और क्यों आगे चलकर सिर्फ होमो सेपिएन्स का ही अस्तित्व रहा?


अब बात करें mythology की तो मिथक किसी शोध पर आधारित नहीं होता बल्कि एक मान्यता होती है। इसे गल्प कह सकते हैं। लेकिन इसकी ईजाद भी किसी उद्देश्य के लिए हुई थी वैसे ही नहीं। फिलहाल हम एक उदाहरण देखते हैं। हिन्दू धर्म में पुराणों में सारे मिथक लिखे हुए हैं। उनके अनुसार मनुष्य की उत्पत्ति की कहानी ये है कि भगवान विष्णु समुद्र में गहरी निद्रा में लीन थे। उनकी नाभि से एक कमल निकला जिस पर ब्रह्मा बैठे हुए थे। अपने को अकेला पाकर वे घबराए। मैं कौन हूँ ये समझने के लिए उन्होने 4 सनत कुमारों की उत्पत्ति की। ब्रह्मा ने उनसे बच्चे पैदा करने को कहा लेकिन उन्हें पता नहीं था कि बच्चे कैसे पैदा करें और आखिर क्यों करे? वे विलुप्त हो गए। तब ब्रह्मा की सोच से 10 विकसित पुरुष प्रकट हुए, जिन्हें प्रजापति कहते हैं। उन्हें पता था कि बच्चे कैसे होंगे। उन्होने अपने पिता से पत्नी देने को कहा। ब्रह्मा ने अपने आप को विखंडित कर लिया। उनके बाएँ हिस्से से निकला जीव बिलकुल अलग था। ये बहुत खूबसूरत महिला थी। अपने पिता को सम्मान देने के लिए वो उनके चारों ओर घूम गई। ब्रह्मा उन पर मुग्ध हो गए और उन्हें देखने के लिए तीन और सिर उगा लिए। इससे घबराई महिला आकाश की ओर चली गई जिससे ब्रह्मा का चौथा सिर ऊपर की ओर उग आया। उनसे बचने के लिए स्त्री ने कई रूप धारण किए जैसे हंसिनी, गाय, घोड़ी आदि और पीछे -पीछे ब्रह्मा भी पुल्लिंग रूप जैसे हंस, बैल, घोडा आदि धारण करते गए और इस तरह सभी जीवों की उत्पत्ति हुई। 



प्राचीन हिन्दू ऋषि मिथक को मिथ्या के रूप में जानते थे। वे सत्य और मिथ्या को अलग रखते थे। मिथ्या किसी संदर्भ में होती है जबकि सत्य सब संदर्भों से परे होता है। संसार को प्रतीकों की आवश्यकता होती है इसीलिए मिथ्या का प्रचलन किया गया। 

हर धर्म ने इस तरह के मिथक ईजाद किए हैं, और क्यों किए हैं ये हम आगे देखेंगे। 

#History #HomoSapiens #Mythology 


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