पानी रे पानी तेरा रंग कैसा…




कभी ये गाना एक कविता की तरह सुनते थे, और आज हकीकत की तरह इसे याद कर रहा हूँ, क्योंकि ऐसा लगता है कुछ दिनों में सचमुच मैं पानी का रंग भूल जाऊंगा।  

आज ४ दिन हो गए घर में पानी नहीं है,  अभी बैठ कर यही सोच रहा था कि २ दिन हो गए नहाये हुए, किस दोस्त के घर पानी होगा की हम सपरिवार वहां जा धमकें नहाने के लिए।  पूना की जिस चीज़ ने मेरा मन मोह लिया था, वही गायब हो गई है। और इस बुरी तरह कि लोग त्राहि-त्राहि कर उठे हैं।  जितनी खूबसूरत यहाँ की बारिश होती है उतना ही बदसूरत सूखा पड़ गया है।  मैंने पिछले ४ सालों में यहाँ पानी की कमी कभी नहीं देखी, लेकिन अब लगता है कि जल्द ही पानी के लिए क़त्ले-आम हो जायेगा।  कारपोरेशन से २ दिन में एक बार पानी आता है, वो भी बहुत थोडा सा, और १-२ दिनौ में कटौतीऔर बढ़ जायेगी।  कल ही पानी को लेकर सोसाइटी के लोगों में गरमा-गरम बहस हुई।  सारे बाँध सूख गए हैं, और ख़बरों के अनुसार पानी का स्तर पिछले ५० सालों में सबसे कम है। पानी की कमी के दूसरे साइड इफ्फेक्ट्स भी झेलने पड़ रहे हैं जैसे, बिजली कटौती।  पॉवर प्लांट में सिर्फ २०% पानी बचा है, जो कि अब तक का सबसे कम है।  यही हाल रहा तो इंशाअल्लाह अगले कुछ दिनों में आदिम युग का मज़ा लिया जा सकता है बिना बिजली के। बाहर के जो भी महानुभाव आदिम युग का अनुभव लेना चाहें उनका स्वागत है, बस टैक्स के रूप में वे हमारे लिए पानी ले आयें।  

मौसम विभाग हर २ दिन में भविष्यवाणी करता है, और मानसून उनके मज़े ले रहा है।  पहली भविष्यवाणी थी कि इस बार बारिश बहुत अच्छी होगी, और उनके देखे हमारे ज्योतिषियों ने भी सारे ग्रहों को ऐसे बिठा दिया था कि सब पानी देने लगे थे, लेकिन जून का महीना आधा होते-होते ज्योतिषी महाराज तो अपनी पोथियाँ बंद करके बैठ गए, पर मौसम विभाग अभी डटा हुआ है आज उन्होंने फिर १-२ दिन का आश्वासन दिया है। देखते हैं इस बार क्या होता है।  तब तक मैं वही गाता रहूँगा जो पिछले १ महीने से गा रहा हूँ - "अल्लाह मेघ दे पानी दे पानी दे पानी दे पानी दे... "

चलिए अभी पास में कहीं नल चल रहा है, और मुझे पानी भरने जाना है। १-२ दिन में फिर से अपडेट देता हूँ तब तक आप भी दुआ कीजिये भगवान से, शायद आपकी दुआ रंग ले आये (पानी का :))

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