आताताइयों को सज़ा
देने में
यक़ीन न हो तो पूछ
लो रावण की रूह से
साल दर साल
हजारों सालों से
जलता आ रहा है
पुतला
बख्शते नहीं हम
किसी बुराई को
पुतले तैयार रखते
हैं
या फिर
आक्रांताओं की
जाति धर्म देख लेते हैं
और तुरंत निबटा
देते हैं मामला
एक अज़हर अगर हमला
करेगा
हम उजाड़ देंगे
किसी अब्दुल
किसी कादिर का
घर
माफी की उम्मीद
न करना
बुराई, बुराई
है
हम माफ नहीं करते
तुम फिर आओगे
हम फिर किसी का
घर यहीं के यहीं उजाड़ देंगे
हमारा बदला हो
जाएगा पूरा
तुम घूमते रहो
गुमान में सारा जहाँ
लेकिन हम जानते
हैं
हमने तुम्हें सज़ा
दे दी
जैसे रावण को
आज तक दे रहे हैं
पूछ लो रावण की
रूह से...
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