श्रद्धांजलि डिस्को युग के निर्माता को...


हमने संगीत का एक बेहतरीन युग देखा अपने बचपन से जवान होने तक, वो युग तो ख़त्म कब का हो चुका पर अब उस युग के निर्माता भी एक-एक करके जाते देख रहे हैं। 
हालाँकि बप्पी दा अपने जमाने में नकल के लिए बदनाम थे, उनके नाम कुछ बहुत ही सस्ती फ़िल्में भी दर्ज़ हैं लेकिन इसका ये कतई मतलब नहीं कि वे आज के युग के नकली संगीतकारों की तरह थे...बिलकुल नहीं। ये 'by choice' था न कि अयोग्यता का परिणाम। जब-जब बप्पी दा ने चाहा या उनसे चाहा गया, उन्होने वो संगीत बनाया जो आज भी असर रखता है। उन्हें पहली प्रसिद्धि फ़िल्म 'चलते-चलते' से मिली जिसका शीर्षक गीत आज भी ताज़ा है। फिल्मों में डिस्को युग लाने का सेहरा उन्हीं के सर है। 80 के दशक में डिस्को से तहलका मचाने वाले और अपने इसी डिस्को से दो सुपरे स्टार मिथुन और गोविंदा को बुलंदियों तक पहुंचाने का सेहरा भी और जितेंद्र, जयाप्रदा, श्रीदेवी की तिकड़ी को दशक के सबसे पॉपुलर स्टार बनाने का भी। 
मैं 10 साल की उम्र में लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल का फ़ैन हुआ करता था और यही वो समय था जब बप्पी दा का नाम सबको पीछे छोड़ चुका था। मुझे आज भी वो दृश्य याद है जब मैं अपने एक मित्र, जिसकी कैसेट्स की दुकान थी, के साथ स्कूल ग्राउंड में बैठा था और उसने कहा था - "बप्पी लाहिरी आजकल सबसे ज़्यादा पॉपुलर है"। मुझे अच्छा नहीं लगा था। मुझे लगता था सबको लक्ष्मी-प्यारे से ही संगीत बनवाना चाहिए और सबको उनके ही गीत सुनने चाहिए। इसी समय फिल्म थानेदार के गीत 'तम्मा तम्मा' लोगे ने धूम मचाई थी। पहली बार कम्प्युटर का उपयोग संगीत रिकॉर्डिंग में किया गया था, और इसी बात का खूब प्रचार हो रहा था। इसी धुन पर उस वक़्त लक्ष्मी-प्यारे का 'जुम्मा चुम्मा' दे दे भी आया था और मैं एलपी के ख़ेमे में था। आज दोनों गीत अच्छे लगते हैं, संगीत संयोजन दोनों का अलग है। एक पर एलपी के सिग्नेचर हैं तो दूसरे पर बप्पी दा के। बप्पी दा जब अपने गीतों में ढोलक का प्रयोग करते थे, वो एलपी से बिलकुल अलग होता था। मुझे उनका वो सॉफ्ट प्रयोग अच्छा लगता है। गोविंदा की फिल्म हत्या के गीत "मैं प्यार का पुजारी" की रिदम मुझे आज भी बहुत अच्छी लगती है। 80 के दशक का उत्तरार्ध बप्पी दा का था, नदीम-श्रवण के उदय तक। 
बप्पी दा के नाम कुछ बहुत चीप गाने हैं तो कुछ बहुत ही मधुर गीत भी हैं। उनका नाम सुनकर ज़ेहन में सोने से लदा एक आदमी और डिस्को बीट्स ही गूँजती हैं, पर बहुत मीठे गीत बनाने में भी उन्हें महारत हासिल थी। उस संगीत के लिए संगीत प्रेमी आपको हमेशा याद रखेंगे पर अलविदा नहीं कहेंगे क्योंकि, आप ही ने कहा था -
"चलते-चलते मेरे ये गीत याद रखना, कभी अलविदा ना कहना"

मेरे कुछ फ़ेवरेट गीत -
किसी नज़र को तेरा और इसी फिल्म से आवाज़ दी है आज इक नज़र ने
प्यार माँगा है तुम्हीं से
इंतहाँ हो गई
आई अम अ डिस्को डांसर
दिल में हो तुम
प्यार हमारा अमर रहेगा
जब से मिले नैना
तू मुझे जान से भी प्यारा है
हमको आजकल है 
जागा सोया प्यार ये मेरा
तुम और मैं और ये बेखुदी
तम्मा तम्मा लोगे
हर पल चाहे मेरा दिल
और भला क्या चाहूँ मैं रब से
मुझे नौलखा मंगा दे
मुसकुराता हुआ 
यार बिना चैन कहाँ रे
मैं प्यार का पुजारी
ठहरे हुए पानी में (ये गीत फ़िल्म लेकिन के 'यारा सिली सिली' की तर्ज़ पर बनाया गया था)

गीत तो और भी बहुत हैं, जब लिखने बैठा तो याद आते ही जा रहे हैं। इन्हीं मधुर गीतों के साथ बप्पी दा हमेशा बने रहेंगे हमारे आसपास। 
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