Predators vs The Predator

 

Predators (2009) and The Predator (2018)

रिमेक भी कह सकते हैं या एक नई कहानी भी।

पुरानी और नई में जो अंतर है वो कालखंड का है mainly. 2009 के समय कहानी की संरचना कैसी होती थी और अब कैसी होती है।

2009 वाली predator की शुरुआत बढ़िया है। एक बेहोश आदमी हजारों फीट की ऊँचाई से नीचे गिर रहा है, गिरते-गिरते ही उसे होश आता है और होश आते ही उड़ जाता है, ये देखकर कि उसके परखचचे उड़ने वाले हैं। वो parachute खोलने की कोशिश करता है लेकिन खुल नहीं रहा है और आखिर जब वो ज़मीन से टकराने ही वाला है तब अचानक खुल जाता है। ये आखरी वाला स्टंट हालांकि बहुत आम है, लेकिन शुरुआत नई थी।

ज़मीन पर उतरने के बाद इसे एक-एक करके और लोग भी मिलते हैं जो सभी इसी तरह उस जगह पहुँचे हैं। किसी को नहीं पता ये क्या है, कौन सी जगह है, वो वहाँ कैसे पहुँचे। घना जंगल है, और इसी जंगल में इनकी मुठभेड़ होती है एक अजीब से जीव से। इन्हें अपनी जान बचानी है और इस जगह से बाहर भी निकलना है। वही फॉर्मूला है जिसमें 7-8 लोगों को इकट्ठा किया जाता है, उन्हें आपस में भी लड़ाया जाता है। एक सख्त लौंडा होता है, एक लीचड़ होता है, एक नर्म दिल मदद करने वाला होता है। और एक-एक करके सब मरते जाते हैं।

फिल्म की शुरुआत अच्छी होती है लेकिन फिर धीरे-धीरे आपके अंदर से वो रोमांच जाता रहता है। इसका कारण शायद ये है कि मुश्किलें उतनी मुश्किल नहीं बनाई गई हैं। खतरा कभी भी इतना बड़ा नहीं होता कि बचना असंभव हो जाये। ये 6-7 लोग उनके गृह पर गए हैं और उनकी संख्या इनसे भी कम है। predators कभी एक साथ हमला नहीं करते, वो हमारी पुरानी फिल्मों के खलनायक के चमचों  की तरह एक-एक करके जाते हैं। उनके जंगली जानवर भी 3-4 ही होते हैं जो शुरू में ही लड़ाई में खेत रहते हैं। ऐसे गरीब aliens कैसे पृथ्वी पर कब्जा करेंगे?

इसकी बजाय नई प्रेडटर में रोमांच ज़्यादा है। यहाँ उनके गृह पर जाने की बजाय उन्हें ही पृथ्वी पर बुला लिया गया है। इससे एक समस्या का हल अपने आप हो गया कि बहुत सारे नहीं दिखाने पड़ेंगे। उनके साथ उनके गृह के दो कुत्ते भी हैं जो हमारे पालतू कुत्तों की तरह ही भले कुत्ते होते हैं। इस बार नायक का परिवार भी इसमें involve है, जिसमें उसका बेटा भी है।

पुरानी फिल्म से नई की गति तेज़ है, इतनी तेज़ रखी है कि सब लोग डाइलॉग बोल कर खत्म कर लेते हैं जो सुनने पर तो समझ आते नहीं हैं, सबटाइटल्स भी पढ़ना रह जाते हैं। एक बार फिर नायक का जो ग्रुप बनता है, वो जिस तरह बनता है और जैसे लोग उसमें होते हैं ये hollywood cliche है।

रोमांच के अनुभव की जहाँ तक बात है, जुरासिक पार्क इन दोनों पर बहुत भारी पड़ती है जबकि वो 1993 में बनी थी। predators को हॉरर फिल्मों की श्रेणी में रखा जाता है लेकिन इससे कहीं ज़्यादा डर जुरासिक पार्क पैदा करती है। in fact, इसे देखकर बिलकुल भी डर नहीं लगता।

दोनों ही फिल्में ठीक-ठाक की श्रेणी में आएंगी।

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