के के - एक गायक जिसे लोगों का बेइंतहाँ प्यार मिला



हम रहें या ना रहें कल

कल याद आएंगे ये पल...

यही आखरी गीत गाकर के के चले गए। उनके जाने के बाद ही पता चला कि उनके इतने सारे प्रशंसक हैं, जबकि अपने करियर में उन्हें सिर्फ 250 गीत ही मिले हैं। शायद फिल्म इंडस्ट्री को उनकी असल पोपुलरिटी का कभी अंदाज़ा नहीं हो पाया।

Facebook के के के नाम से पटा पड़ा है। इनमें से कई लोगों की बचपन की यादें उनकी आवाज़ के साथ जुड़ी हैं। मेरे बचपन की तो नहीं पर सयानेपन की ज़रूर हैं। मेरी 12 साल तक की उम्र मोहम्मद अज़ीज़ और शब्बीर कुमार की आवाज़ों के पास पड़ी है, उसके बाद के दस साल कुमार सानू और उदित नारायण के हैं। चूँकि मैं बहुत छोटेपन से फिल्म संगीत को ध्यान से सुनता आया हूँ, मैंने हर गुजरते जमाने के बदलाव को शिद्दत से महसूस किया है। हर 10 साल में फिल्म संगीत बदला है। शब्बीर कुमार के समय के गीतों का फ़ील अलग था, कुमार सानू के समय ये बहुत बदला और के के का दौर आते-आते फिर बदल गया था। हालाँकि हर दौर की इबारत उसके आने से पहले ही लिखी जाने लगती है। वो लोग जो ये बदलाव लाएँगे, पिछले दौर में संघर्ष शुरू करते हैं। के के ने भी 90 के दशक की शुरुआत में मुंबई की ओर कूच किया। विशाल भारद्वाज उनके मित्र थे। दोनों साथ ही दिल्ली से मुंबई पहुँचे थे। के के ने सबसे पहले लुइस बैंक्स, रंजीत बारोट और लेजली लुईस को अपने गीतों की टेप दी थी। ये तीन नाम फिल्मों में नहीं मगर विज्ञापन की दुनिया के बड़े नाम थे। लेज़्ली लुईस ने उन्हें सबसे पहले एक विज्ञापन फिल्म में मौका दिया। इसके बाद विज्ञापनों में उनका काम चल निकला। इसीलिए वे लेज़्ली को अपना गुरु मानते हैं। उन्होने लगभग 3500 विज्ञापनों को अपनी आवाज़ दी है। फिल्मों में सबसे पहला गीत उन्हें विशाल भारद्वाज ने दिया था। माचिस विशाल की भी पहली फिल्म थी। इसके गीत “छोड़ आए हम वो गलियाँ” में दो पंक्तियाँ के के ने गाईं थीं। बाकी पूरा गीत हरिहरन और सुरेश वाडकर की आवाज़ में है। इससे भी पहले उनसे दो गीत ए आर रहमान ने गवाए थे, फ़िल्म “दुनिया दिलवालों की” जो तमिल से हिन्दी में डब की गई थी, उसमें “हैलो डॉक्टर” और “कॉलेज के साथी” में के के की आवाज़ थी। रिलीज़ पहले “दुनिया दिलवालों की” हुई थी इसलिए पहली फ़िल्म वही मानी जाएगी। ये बात है 1996 की, कुमार सानू का सितारा पूरे शबाब पर था। दशक के ख़त्म होते-होते कुमार सानू का सूरज भी ढलने की ओर था और सोनू निगम उभर रहे थे। अगला युग सोनू का था लेकिन सोनू के साथ समानान्तर रूप से दो और आवाज़ें उभर रही थीं – शान और के के। के के का समय शुरू होता है 1999 में फ़िल्म “हम दिल दे चुके सनम” के गीत “तड़प तड़प” से। इस गीत को युवाओं ने हाथों-हाथ लिया था। मैंने भी अपने कॉलेज के दिनों में इसे बहुत गाया है। इतने हाइ पिच पर गाकर के के ने अपनी क्षमता का परिचय दे दिया था। इसी साल सोनी म्यूजिक लॉंच हो रहा था, उन्हें किसी नए गायक की तलाश थी, ये तलाश के के पर पूरी हुई। सोनी ने उनके साथ एल्बम लॉंच किया “पल”। ये एल्बम आज भी सुनने वालों के दिल के उतने ही करीब है। इसी के दो गीत के के को अपने हर कार्यक्रम में गाने ही पड़ते थे – “हम रहें या ना रहें कल” और “यारों दोस्ती”। इस एल्बम का संगीत भी तैयार किया था लेजली लुईस ने। सन 2000 के बाद सोनू निगम, के के और शान ने फिल्म संगीत की कमान संभाली। हर दौर में सितारा गायक के साथ और गायक भी रहे हैं जिनहोने उतने गीत नहीं गाये लेकिन अपना नाम इतिहास में दर्ज करवाया है जैसे रफी, किशोर के युग में मन्ना डे, महेंद्र कपूर, तलत महमूद रहे हैं, कुमार सानू के दौर में उदित नारायण और अभिजीत रहे हैं।

मुझे हमेशा इस बात का अचरज रहा है कि के के को उतने गीत क्यों नहीं मिले जितने शान को मिल गए? ये सच है कि शान ने के के से ज़्यादा गीत गाये हैं लेकिन पहले दिन से मुझे शान के के की तुलना में बहुत कमतर लगते आए थे। के के की आवाज़ में जो फोर्स था वो उसे अलग बनाता था। एक कठोरता लिए हुए थे उनकी आवाज़, शायद यही वजह रही हो कि उन्हें कुछ ही गीतों के लिए बुलाया जाता रहा हो। शान मुझे हमेशा ओवर रेटेड लगे। मैंने एक बार शान को मंच पर गाते सुना था और मैं एक भी गीत नहीं सुन पाया। मंच पर गायक जो होता है वही दिखता है, स्टुडियो में तो पिच करेक्शन भी हो जाता है। शान उस दिन सुर में ही नहीं थे। के के की एक कमजोरी शायद ये भी रही कि वे कभी limelight में नहीं रहे। खामोशी से अपना काम, जितना भी मिलता रहा करते रहे। 2000 से लेकर अगले 6-7 साल ही उनका करियर अच्छा चला, उसके बाद जिस तरह शान और के के एक साथ उभरे थे, उसी तरह एक साथ अस्त भी हो गए। इस छोटे से करियर में उन्होने जो भी काम किया है, उसी की बदौलत आज उनकी इस असामयिक मृत्यु पर इतने लोग स्तब्ध हैं , दुखी हैं।

एक और बात, उन्होने एक रिऐलिटि शो जज किया था लेकिन उन्हें ये काम रास नहीं आया और उन्होने आगे फिर कभी ऐसा कोई ऑफर स्वीकार नहीं किया। ये एक बात उनके व्यक्तित्व के बारे में बहुत कुछ कह जाती है।

उनके कुछ अच्छे गीतों का उल्लेख ज़रूरी है यहाँ। ये मेरी पसंद के गीत हैं –

तड़प तड़प के – हम दिल दे चुके सनम

हैलो डॉक्टर – दुनिया दिलवालों की

हौले हौले – दिल पे मत ले यार

आजा गुफाओं में आ – अक्स

छोटा सा मन है – बस इतना सा ख्वाब है

कोई कहे कहता रहे – दिल चाहता है

मुझे कुछ कहना है – मुझे कुछ कहना है

सच कह रहा है दीवाना – रहना है तेरे दिल में

ऐ दिल दिल की दुनिया में – यादें

डोले रे – अग्निवर्षा

नया नया – फिलहाल

जब कभी – झंकार बीट्स

आवारापन बंजारापन – जिस्म

हाय रे – खुशी

ओ अजनबी – मैं प्रेम की दीवानी हूँ

गुज़र न जाये, मैंने दिल से कहा, तेरे इस जहाँ में – रोग

तू ही मेरी शब है – गंगस्टर

खुदा जाने क्यों – बचना ऐ हसीनों

गुजारिश – गुजारिश

दिल क्यों ये मेरा, ज़िंदगी दो पल की – काइट्स

#KK #RIPKK #KKSinger

 

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