करोगे याद तो...



बिल्कुल ही आम श्रोता के लिए “भूपेन्द्र सिंह” पहचाना नाम नहीं है, थोड़े गंभीर श्रोता के लिए भूपेन्द्र सिंह “दिल ढूँढता है फिर वही”, “एक अकेला इस शहर में” और “किसी नज़र को तेरा” गाने वाले गायक हैं और थोड़े से और गंभीर श्रोता के लिए इनके अलावा “अहले-दिल यूं भी निभा लेते हैं”, “कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता” और करोगे याद तो हर बात याद आएगी” और “बीते ना बिताई रैना” वाले गायक हैं जिन्हें बस इतने ही गीत मिले और कुछ नहीं। फिर गजल सुनने वाले श्रोता हैं जिनके लिए भूपेन्द्र मुख्य रूप से ग़ज़ल गायक हैं जो अपनी पत्नी मिताली सिंह के साथ ग़ज़लें गाते हैं और जिनकी सबसे मशहूर ग़ज़ल “राहों पे नज़र रखना” है और जो कभी-कभी फिल्मों में भी गाते थे।

ये सब धारणाएँ गड्ड-मड्ड हैं।

भूपेन्द्र इन सबके अलावा भी बहुत कुछ थे। दिल्ली का रहने वाला हैंडसम युवक 60 के दशक में बंबई आता है, आता क्या है, लाया जाता है, वो भी संगीतकार मदनमोहन द्वारा। मदनमोहन ने उनसे गीत गवाया था चेतन आनंद की फिल्म “हकीकत” के लिए। पहला ही गीत उन्होने गाया तीन दिग्गज गायकों के साथ – मोहम्मद रफ़ी, मन्ना डे और तलत महमूद। और उम्र इनकी थी महज़ 20 वर्ष। ये गीत था “हो के मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा”। कैफ़ी आज़मी के लाजवाब बोल और मदनमोहन की उतनी ही अच्छी धुन थी।



इसके बाद चेतन आनंद को ये लड़का इतना भा गया कि वे पीछे ही पड़ गए उसे हीरो बनाने के। और उससे भी बड़ी बात ये कि लड़का किसी तरह तैयार नहीं हुआ हीरो बनने के लिए। ये लड़का था भूपेन्द्र सिंह। चेतन आनंद भी मान ही नहीं रहे थे, उन्होने इतना परेशान कर लिया कि भूपेन्द्र बंबई छोडकर वापस दिल्ली चले गए। वहाँ दोस्त भी हैरान हुए, कि लोग कहाँ-कहाँ से बंबई जाकर फुटपाथ पर दिन बिताते हैं कि कहीं कोई छोटा सा रोल ही मिल जाये और इसे इतना बड़ा निर्देशक मौका दे रहा है और ये भाग रहा है। पर भूपेन्द्र को न जाने क्या मन में समाई थी कि हीरो नहीं ही बने। दिल्ली में रहते हुए उन्होने अपने कुछ एल्बम निकाले, फिर 70 के दशक में एक बार फिर रुख़ किया बॉम्बे का। इस बार उनकी मुलाक़ात हो गई आर डी बर्मन से और दोनों की पटरी ऐसी बैठी कि कई बरसों तक दोनों का साथ बना रहा। 70 के दशक में भूपेन्द्र फिल्म इंडस्ट्री के सर्वश्रेष्ठ गिटारिस्ट थे। फ़िल्म “हरे रामा हरे कृष्णा” के गीत “दम मारो दम” का वो प्रसिद्ध गिटार पीस, भूपेन्द्र ने ही बनाया था। आर डी बर्मन के साथ उन्होने लगभग हर फ़िल्म में बजाया है। आर डी की वो टीम बेहतरीन थी जिसमें मनोहारी सिंह, भूपेन्द्र, केरसी लॉर्ड जैसे कई लोग थे। इसी दौर में भूपेन्द्र ने कुछ गीत भी गाये, उनकी आवाज़ बिलकुल अलग थी, किशोर कुमार के अलावा अगर बेस किसी आवाज़ में था तो उन्हीं की आवाज़ में। उसी दौरान मदन मोहन ने एक बार फिर उन्हें याद किया, उस फ़िल्म के लिए जो उनकी आख़री फ़िल्म साबित होने वाली थी, और ये गीत अमर हो गया, ऐसा कोई नहीं जिसने इसे न सुना हो – “दिल ढूँढता है फिर वही”। आर डी बर्मन ने भी उनसे कुछ यादगार, कुछ क्लासिकल तो कुछ प्रयोगात्मक गीत गवाए जैसे – “जब अंधेरा होता है आधी रात के बाद”, “नाम गुम जाएगा”, “थोड़ी सी ज़मीं”, “हुज़ूर इस कदर भी ना इतरा के चलिये”, “दुक्की पे दुक्की हो”, “ज़िंदगी मिल्कके बिताएँगे”, “प्यार हमें किस मोड पे ले आया”।

आर. डी. बर्मन के साथ उनका कुछ ऐसा रिश्ता बना कि बरसों-बरस उनके साथ रहे, बतौर गिटारिस्ट। जी हाँ, भूपेन्द्र एक समय में फ़िल्म इंडस्ट्री के सबसे अच्छे गिटारिस्ट थे। पंचम दा की कई धुनों को अपने गिटार पीसेस से उन्होंने सजाया है। याद कीजिये "दम मारो दम" का वो iconinc गिटार पीस जो उस गीत की पहचान है, वो भूपेन्द्र की ही creativity है। 



बीच-बीच में कुछ बेहतरीन नगमों को उनकी शानदार आवाज़ भी नसीब हुई है। उनकी आवाज़ की अपनी एक अलग तासीर थी। मेरे खयाल से उस दौर में किशोर कुमार के अलावा भरी बेस वाली बस यही एक आवाज़ थी पर पारंपरिक न होने की वजह से किसी हीरो को सूट नहीं करती थी, शायद इसीलिए उनके गीत ज़्यादा नहीं आए। 

न सिर्फ आर डी बर्मन बल्कि और संगीतकारों ने भी उनसे कुछ बेहतरीन गीत गवाए हैं जब एक अलग तरह की आवाज़ की ज़रूरत हुई। लक्ष्मीकान्त-प्यारेलाल ने “सैयां निकस गए”, जयदेव ने “एक अकेला इस शहर में” और “दो दीवाने शहर में”, “ज़िंदगी मेरे घर आना”, बप्पी लाहिरी ने “किसी नजर को तेरा इंतज़ार आज भी है”, “आवाज़ दी है आज इक नज़र ने”,  खय्याम ने “कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता”, “आज बिछड़े हैं”, “करोगे याद तो” और 90s में इकलौता अच्छा गीत फ़िल्म सत्या में विशाल भारद्वाज ने गवाया “बादलों से काट काट के”।

80 के दशक में उन्होने पूरी तरह से ग़ज़लों को अपना समय दे दिया, फिर ग़ज़लों का भी वो सुनहरा दौर बीत गया तो पिछले कुछ बरसों से कुछ सुनने में नहीं आया।

भूपेन्द्र सिर्फ कुछ गीतों के गायक नहीं थे, वे बहुत कुछ थे, उनका अपना एक स्थान था जो अद्वितीय था।

#RIPBhoopendra #Bhupendra #Bhoopendra #Singer

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

लोकप्रिय पोस्ट