एक तरफ़ वे "3 बॉडी प्रॉबलम" जैसी कहानियाँ बना रहे हैं, हमारे यहाँ साइन्स fiction के नाम पर क्या बन रहा है?
"तेरी बातों में ऐसा उलझा जिया"
एक तो नाम ही ऐसा है कि जिसमें साइन्स का नामो-निशान नहीं है, दूसरे एक पैराग्राफ का नाम कौन रखता है भाई? कोई पूछे कौन सी फिलिम देखने जा रहे हो तो नाम बताने की बजाय "नहीं जा रहा" बोलना ज़्यादा आसान रहेगा।
ये फिल्म साइन्स का यौन शोषण है। हालाँकि अगर किसी तरह मैं पूरी देख लेता तो साइन्स की ही मदद लेनी पड़ती मेरी मृत्यु के कारण की जाँच करने के लिए। फिल्म के एक भी कैरक्टर का टेम्पेरामेंट साईंटिफ़िक नहीं है, उनका भी जो फिल्म में साइंटिस्ट बने हैं। शाहिद कपूर मज़ाक करते करते रोबोट की टेस्टिंग कर रहा है और टेस्टिंग में रोबोट एक आदमी को सुई लगा रहा है। मतलब कुछ भी? कुछ भी?
शाहिद कपूर साइंटिस्ट हैं जो ऐसे लग रहे हैं कि 'जब वी मेट' की अपनी कंपनी से उठाकर लैब में रख दिये गए हैं। उनके घरवालों के जीवन में एक ही समस्या है, लड़के की शादी। लड़के की एक मौसी भी है डिंपल कपाड़िया जो बड्की वाली वैज्ञानिक है और चूंकि बड़की वाली है तो ज़ाहिर है भारत जैसे देश में क्यों रहेगी? वो लंदन में रहती है। अब वैज्ञानिक है तो घर पर विज्ञान ही ओढ़ती होगी, विज्ञान ही बिछाती होगी। तो भतीजा लंदन जाता है और वहाँ आपका दिमाग चाट लेने के लिए लंबा सीन है दोनों का। फिर शाहिद मासी जी के घर जाता है जहां कृति सेनन उसका स्वागत करती है। जो आदमी शादी के नाम से भाग रहा है वो ऐसे व्यवहार करता है जैसे कभी लड़की नहीं देखी। फटाफट मैगी स्टाइल में सब हो जाता है, सब मतलब सब। और उसे पता तब चलता है कि ये लड़की रोबोट है जब मासी जी आकर उसे चार्ज पर लगाती है।
और मासीजी ने खुद ही ये प्लान किया था, बताओ लड़के के साथ कितनी रिस्क ली, मान लो बीच में ही मशीन में खराबी आ जाती तो लड़के की तो जान पर बन जाती। इस भयावह घटना के बाद मैंने फिल्म बंद कर दी।
शाहिद और डिंपल की ओवर एक्टिंग, हालाँकि डिंपल मुझे कभी पसंद नहीं आई, पर अब तो डरावनी लगने लगी हैं। कृति सेनन मुझे बिलकुल भी खूबसूरत नहीं लगती और एक्टिंग तो खैर...
तो मुद्दा ये था कि ये चल क्या रहा है बे?
अब तो साइन्स के नाम पर ढंग की फिल्म बना लो। इससे बढ़िया तो 15 साल पहले शंकर ने बना ली थी रजनीकान्त को लेकर, अब 15 साल में उससे तो आगे जाना था?
मैं एक साइन्स fiction लेकर घूम रहा हूँ जिस पर मुझे जवाब ये मिलता है कि यार हमारे यहाँ के लोग इस तरह की कहानी के लिए तैयार नहीं हैं, ये हॉलीवुड में ही चलती हैं। जबकि मैं तो 50 लाख में पूरी फिल्म बना सकता हूँ।
बताइये, नेता से लेकर फिल्म निर्माता तक सब इस देश की जनता को मंद बुद्धि मान कर चल रहे हैं।
आपने 3 बॉडी प्रॉबलम नहीं देखी तो देखिये उनकी सोच कहाँ पहुँच गई है और हम एक ढंग की घरेलू रोबोट वाली फिल्म नहीं बना पा रहे, करोड़ों खर्च करके भी।
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