ओपनिंग सीन मुझे बहुत मीनिंगफुल लगा। गांवों से शहरों की तरफ पलायन कोई नई बात नहीं है। अच्छे जीवन की उम्मीद में जो जा सकता है वो चला जाता है। ऐसा ही एक व्यक्ति गाँव छोडकर जा रहा है। गाँव का ऑटो वाला उसे समझाता है कि ऐसे सब चले जाएँगे तो गाँव का ध्यान कौन रखेगा, जवाब मिलता है – “तू है ना”। फिर वो कहता है अरे शहर वाले जो खाते हैं वो उगता तो हमारे यहाँ ही है? जवाब आता है फिर भी वो नई-नई चीज़ें बना रहे हैं, विकास कर रहे हैं और हम वहीं के वहीं हैं।
मज़ाक-मज़ाक में बहुत गंभीर बात कह दी ना?
ऐसी ही है ये फिल्म मज़ाक-मज़ाक में थप्पड़ मार देती है और आपको पता भी नहीं चलता।
यही ऑटो वाला "वीरा" हमारा नायक है। एक दिन उसके ऑटो में कोई एक बैग भूल जाता है। उस बैग में है एक बड़ा सा कैमरा। वो गाँव के फॉटोग्राफर दोस्त को उसे दिखाता है और उसे बेचने को कहता है। उसे लगता है पूरे 5000 हज़ार रुपये मिल सकते हैं इसको बेचकर। देख रहे हैं ना आप ये जो थप्पड़ है? उसके सपने भी 5000 तक ही जाते हैं। फिर उसे रेंट पर देने की बात होती है। रात को टीवी पर वो देखता है कि आजकल इंडी फिल्में चल रही हैं जिनके लिए कोई बड़ा बजट नहीं चाहिए। उसे करोड़ों कमाती फिल्में दिखती हैं। तय होता है कि उस कैमरा से एक फिल्म बनाई जाएगी।
फिल्म कैसे बनाई जाती है किसी को नहीं पता। वीरा दादा साहब फाल्के की तरह फिल्म का पूरा व्याकरण अपने लिए ईजाद करता है। धीरे-धीरे सब लोग अपना काम-धंधा छोड़ उसमें जुट जाते हैं। दिल-ओ-जान से मेहनत करते हैं। लेकिन साहब फिल्म बनाना कोई आसान काम नहीं है, वो भी तब जब आपकी जेब में धेला न हो। ये मुझसे बेहतर कौन जान सकता है? मैं जितना इस फिल्म से इत्तेफाक रखता हूँ या मेरे जैसा कोई फटीचर फिल्म मेकर रखता होगा उतना शायद आप न समझ पाएँ पर मज़ा आने की गारंटी है।
मैं वीरा का हर दर्द ख़ुद महसूस कर चुका हूँ, उसका हर frustration ख़ुद भोग चुका हूँ। और आखिरकार जिस सुकून तक वो पहुँचता है, मैं उसके इंतज़ार में अब तक हूँ। ज़िंदगी फिल्म नहीं है जो दो घंटे में संघर्ष खत्म हो जाये, है ना?
फ़िल्म में कुछ दृश्य बहुत ही पोएटिक हैं जिनमें न कहकर भी बहुत कुछ कह दिया जाता है। एक मासूमियत भी है जो शायद असल दुनिया में अब नहीं है। कॉमेडी situational है, लाउड नहीं। प्रॉडक्शन वैल्यू बहुत हाइ नहीं है पर कंटैंट जोरदार है। बहुत ही कम बजट में बहुत ही अच्छी फिल्म बनाई है। ऐसी कोई कहानी किसी के पास हो तो प्लीज संपर्क करे। फ़िल्म नेट्फ़्लिक्स पर उपलब्ध है और telegram पर भी। देखेंगे तो पछताएंगे नहीं।
अरे हाँ एक बात तो बताना भूल ही गया, फ़िल्म तेलुगू है, telegram से डाउनलोड करें तो गूगल पर सबटाइटल्स भी सर्च कर लें।
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