तुम्बाड बनाम भ्रमयुगम

 


"तुम्बाड" और "भ्रमयुगम" के बीच बेवजह तुलना कर माहौल बनाया जा रहा है।

मैंने तुम्बाड करीब 4 -5 साल पहले देखी थी, उस वक्त फिल्म यूट्यूब पर ही अवेलेबल थी। सामने आ गई तो मैंने यूं ही 5-10 मिनट के लिए लगाई थी लेकिन फिर में उसे हटाना ही भूल गया, और वो फिल्म एक अरसे तक मेरे साथ रही। ये इंपैक्ट है उसका। और उसका ये कल्ट स्टेटस अपने आप बना है, बनाया नहीं गया है। बल्कि वो फिल्म तो रिलीज़ ही बड़ी मुश्किल से हुई थी बिना किसी बड़े दावे के, पर सब्सटेंस था तो धीरे धीरे गति पकड़ती गई।

दूसरी तरफ भ्रमयुगम के लिए पहले दिन से माहौल बनाना शुरू कर दिया गया था। मलयालम फिल्मों के सुपर स्टार ममूटी की फिल्म थी तो वैसे ही हाइप बनना लाजमी था। मैंने भी ममूटी के गेट अप और ट्रेलर देखकर ही एक दिन देखना शुरू किया था। ऊपर से ब्लैक एंड व्हाइट है फिल्म को नया प्रयोग है। ब्लैक एंड व्हाइट सुकून देता है। पर जैसी उम्मीद थी वैसा कुछ भी नहीं मिला। बहुत आर्डिनरी फिल्म है। हां, ममूटी का अभिनय जबरदस्त है। पर तुम्बाड के बराबर तो क्या आसपास भी नहीं ठहरती। फिल्म बीच में ही बंद करने का मन करने लगा था जबकि तुम्बाड फिर से देख लेने का मन अब भी करता रहता है।

No comparison man!


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