तीन पापी - डैन, तेज़ और महेश

 

 इन तीनों पापियों को कई बार देखा होगा आपने। 80s के दौर में इन्होंने हाहाकार मचा रखा था। उस समय जब भी कोई लड़की घर जाने में शाम को लेट हो जाती थी तो उसे कहा जाता था कि बेटी जल्दी जा, जल्दी जा वरना तेज/डैन/महेश आ जायेगा।

अमरीश पुरी को जब भी बेटों की ज़रूरत होती थी तो कमीनेपन के स्टेटस के हिसाब से यही दोनों सबसे ज़्यादा योग्य पाए जाते थे। जहां इनके पिता सारे अवैध धंधे देखते थे, इनका प्रोफाइल रेप करने का होता था। लड़की देखते ही इनके अंग अंग से लार टपकने लगती थी। उस ज़माने की कोई भी लड़की इनसे सुरक्षित नहीं थी, चाहे कितनी भी बड़ी हीरोइन हो। हेमा मालिनी तो उम्र में इनसे बड़ी थी, उनकी तो इज्जत करनी थी, पर नहीं इज़्ज़त तो इनके लिए वो खज़ाना था जिसे लूटने के लिए ये 24 घंटे खोज में रहते थे। 

कितने ही कमीने हों पर अपने पिता के ये हमेशा आज्ञाकारी होते थे, पिता इनकी घोर बेइज्जती किया करते थे पर ये बुरा नहीं मानते थे। और पिता भी, चाहे गालियां दें, पर अपना वात्सल्य इन पर लुटाते रहते थे। इन्हें अपने साथ नाच दिखाते थे, लड़की उठा लेने पर खुश होते थे, साथ में दारू पीते थे और जब कोई अमिताभ बच्चन टाइप बदमाश इनको मार मार कर पिलपिला बना देता तो आग बबूला होकर युद्ध की घोषणा कर देते थे। यही घोषणा फिल्म में जान डालती और फिल्म को अंत की तरफ़ ले जाती थी। इस प्रकार प्रारब्ध के घटित होने में इनका सबसे बड़ा योगदान हुआ करता था। 

अपने पिता की ही तरह ये भी नाच गाने और दारू के भयंकर शौकीन हुआ करते थे। कॉलेज कभी पढ़ाई जैसी तुच्छ चीज के लिए नहीं जाते थे, बल्कि बाहर क्लास छूटने का इंतजार करते थे ताकि हीरोइन को छेड़ कर हीरो से पंगा ले सकें। वैसे भी पढ़ लिखकर आज तक कौन प्र धान मंत्री बना है? बल्कि हमारे आज के कर्णधारों ने इन्हीं की फिल्में देख देखकर अपना करियर बनाया है, चाहे वो मॉर्निंग वॉक से ईमानदार अफसर को उठा लेना हो, या किसी का लोया कर देना हो, या खूब झूठ बोलकर लोगों को फांसना हो। उनके भाषण भी इन्हीं की फिल्मों से प्रेरित होते हैं।

इन्हें परदे पर देखते ही हमारे अंदर घृणा का संचार होने लगता है और हरदम ये खटका रहता है कि अब किसी की इज़्ज़त लुटी। अगर घर में माता पिता के साथ फिल्म देख रहे हैं तो हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि ये जल्दी स्क्रीन से चले जाएं क्योंकि क्या पता कब इनका मन मचल जाए और हम अपने अभिभावकों के सामने इस तरह शर्मिंदा हो जाएं जैसे ये कुकर्म हमने ही किया हो।

ये महान है, सर्वशक्तिमान हैं, बल्कि ये तो पुरुष ही नहीं हैं...

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अरे महापुरुष हैं महापुरुष!

जय तेज़, जय डैन, जय महेश!

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