इंसाफ़ - पहली किस्त


 

इंसाफ़ कौन करेगा? 1984 में ये सवाल उठाया गया था और आज 40 साल बाद मैं आ गया हूँ इंसाफ़ करने। 

इंसाफ़ - पहली किस्त

फ़िल्म का ओपेनिंग सीन है – तग्ड़क तग्ड़क घोड़ा भाग रहा है, गाँव वाले डर के मारे घरों में छुप रहे हैं। घोड़े पर प्राण है, वो सीधे एक घर में जाकर एक लड़की को पकड़ लेता है। लड़की का बाप हाथ जोड़ता है – जागीरा माफ कर दे, माफ कर दे। बड़े ही बेमन से फरियाद कर रहा है बुड्ढा और थोड़ी फरियाद के बाद जब जगिरा लड़की को घोड़े पर लाद कर ले जाता है तो छोड़ भी देता है कि चलो गई तो गई, अब क्या कर सकते हैं।

इससे ये समझ आता है कि ये जगिरा एक डाकू है, पर ये कैसा डाकू है जो गिरोह में अकेला ही है? और तो और इसका कोई अड्डा भी नहीं है, ये लड़की को लेजाकर एक तालाब में ढेर सारी बत्तखों के बीच पटक देता है और फिर खुद भी कूद जाता है। इतना गरीब डाकू कि इसके पास इज्ज़त लूटने के लिए भी एक ठीक ठाक ठिकाना नहीं है। उससे सहानुभूति होती है। जब वो लड़की को लेकर चला था तभी एक गाना रेंडमली चालू हो गया था बीच में से, जो पूरे 6 मिनट तक हमें फ़िल्म का नाम बताता रहा और इस बीच श्री जगिरा बहुत ही संघर्षों के साथ लड़की से जूझते रहे। लड़की ने जगिरा को tough फाइट दी। ये तालाब वाला आइडिया अद्भुत था, इससे पता चलता है कि जगिरा बहुत ही क्रिएटिव आदमी था, जिस तरह उसने सीधे तालाब का रुख किया उससे लगता है कि इस कार्य के लिए वो उसकी प्रिय जगह है। 

अगली सुबह जब वो घर पहुंचता है उसके कपड़े बिलकुल साफ़ और इस्तरी किए हुए हैं इससे पता चलता है कि बाद में रात को ही उसने अपने कपड़े साबुन सर्फ से धोये थे, और वहीं सुखाकर इस्तरी कर के पहने। वो रचनात्मक होने के साथ-साथ सफ़ाई पसंद और अच्छे रहन-सहन का शौकीन है। साबुन, सर्फ और इस्तरी उसने वहीं कहीं छुपा कर रखी है ताकि हर बार इस कार्य के बाद वो वापस अपना कुर्ता सलवार और जैकेट फिर से साफ़-सुथरा पहन सके। और हाँ, अपनी बीवी का ख़याल रखने वाला आदमी है वरना घर आकर बीवी से कपड़े धुलवा कर इस्तरी करवाता। फेमिनिस्टों को इस बात के लिए उसे भरपूर अंक देना चाहिए। 

वो आत्मनिर्भर है, उसे किसी सहयोगी की ज़रूरत नहीं है, जब मन आता है अकेला ही घोडा उठाकर चल देता है।

और सबसे बड़ी बात, डाकू है पर गाँव में ही घर है, बीवी बच्चे हैं, वो वर्क फ्रोम होम करता है। वर्क भी उसका ओल्ड फ़ैशन डाकुओं जैसा नहीं है, वो शराब और जुएँ का अड्डा चलाता है। पत्नी रोहिणी हत्तंगड़ी है जो किच-किच करती रहती है, इसलिए अपना समय अपने अड्डे पर दारू पीकर ध्यान मग्न अवस्था में बिताता है। 

इसका भाई गुलशन ग्रोवर बिलकुल लक्ष्मण है, इसको ही फॉलो करता है। इसके विपरीत हीरो लोगों के भाई हमेशा येड़े होते हैं, याद कीजिये दीवार में विजय का भाई। भाई भी क्रिएटिव है, तीसरी उंगली के बीच फँसा कर सिगरैट पीता है ताकि धूम्रपान से दूर भी रहे और कर भी ले। अद्भुत। 

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