Left और right का लफड़ा आजकल पूरी दुनिया की मुसीबत बना हुआ है। दुनिया की आबो-हवा नफरत से भर रही है। पता नहीं ये प्रकृति का कोई नियम है या अपवाद पर नफरती लोग अमन-चैन चाहने वालों पर हावी हो रहे हैं। पहले लोग किसी विषय पर अपनी अज्ञानता पर चुप रहते थे, पर अब ज्ञान को गाली बकने लगते हैं। ये बड़ा भयानक परिवर्तन आया है। ऐसे में क्या हो कि कुछ लोग लेफ्ट में भी सिरफिरे हों और इससे आजिज़ आकर कुछ ऐसा करें जो उन्हें उन्हीं के जैसा बना दे, जिनके कि वे खिलाफ़ हैं?
“The Hunt” इसी विषय पर एक बोल्ड अटैम्प्ट है। हालाँकि मूल स्क्रिप्ट में राइट विंग को साफ-साफ हीरो दिखाया गया था पर परिवर्तनों के बाद एक blur line बन गई है कि आख़िर फ़िल्म है किस तरफ़ से? और चूँकि राइट वाले ज़्यादा सोच-समझ में विश्वास रखते नहीं हैं और बुद्धिजीवी को गाली मान कर बुद्धि का प्रयोग नमक स्वादानुसार की तरह ही करते हैं, उन्हें लगा ये फ़िल्म उनके खिलाफ़ है और उन्होंने इसका विरोध किया। यहाँ तक कि ट्रम्प ने भी इसके लिए एक ट्वीट किया था, क्यों ये फ़िल्म जब आई थी तब अम्रीका में चुनाव थे (पिछले चुनाव)।
ख़ैर, फिल्म पर आते हैं। फ़िल्म की कहानी है ऐसे लोगों के एक ग्रुप की है जो इन्सानों का शिकार करते हैं। वे अलग-अलग जगहों से लोगों को किडनैप करते हैं, उन्हें बेहोश करके। इन लोगों को जब होश आता है तो ये किसी अनजान जगह पर होते हैं जहां इनके मुँह बंधे होते हैं। इन सब लोगों को हथियार भी दिये जाते हैं और फिर शुरू होता है शिकार। इनकी तरफ़ किसी भी दिशा से तीर या गोली आ सकती है, इन्हें भागना है और उनसे बचने की कोशिश करना है। लेकिन सिर्फ़ गोलियाँ या तीर ही नहीं, और भी तरीके हैं इन्हें मारने के। लेकिन इस बार शायद खेल उल्टा पड़ जाये क्योंकि एक ऐसी लड़की भी इस ग्रुप में है जिसे इन सबसे बचना आता है, जो खतरनाक है।
फ़िल्म इंट्रेस्टिंग तो है पर depth में थोड़ी कमी है। तुरंत ही शुरू हो जाती है और सीधे मुद्दे पर आ जाती है। सब कुछ एक सीधी रेखा में चल रहा है, बिल्ड अप नहीं किया गया है। इसे satirical बनाने के चक्कर में कुछ-कुछ जगहों पर बचकानी सी लगती है। थ्रिल को भी अच्छी तरह से पकने से पहले ही चूल्हे से उतार लिया गया लगता है। थोड़ा और आतंक पैदा करते, तो और मज़ा आता।
मुख्य पात्र के बारे में कुछ भी नहीं बताया गया है, वो कौन है, क्या करती है? उसका अतीत क्या है? वैसे ही इस ग्रुप को भी स्थापित नहीं किया गया है कि ये लोग अगर fanatic हुए तो उसके पीछे क्या वजहें रहीं?
ख़ैर, फिर भी एक बार तो देखा ही जा सकता है। कमियाँ हैं पर गति तेज़ है तो पता नहीं चलता कब खत्म हो गई।
फ़िल्म जियो सिनेमा पर उपलब्ध है।
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