मैंने विपिन सचदेवा के बारे में लिखा था कि वे बहुत ही औसत दर्जे के गायक थे। एक मित्र ने बड़ी मजबूती से उनका पक्ष लिया और जब मैंने कुमार सानू, उदित नारायण को बेहतर बताया तो लगभग उपहास के लहजे में उन्होंने ज़िक्र किया कि “फिर आप मोहम्मद अज़ीज़ और शब्बीर कुमार को क्या कहेंगे”.
मुझे समझ नहीं आता कि फिल्म इंडस्ट्री से लेकर मीडिया और आम श्रोता तक में इन दोनों गायकों के प्रति ये उपेक्षा का रवैया क्यों है? जबकि फ़िल्म संगीत का इतिहास इन दो नामों के बग़ैर पूरा नहीं हो सकता। एक पूरा दशक आपको मिटाना होगा अगर इन दो नामों को मिटाना चाहें। शब्बीर कुमार तो अभी मौजूद हैं पर मोहम्मद अज़ीज़ को गए छः साल हो गए और यही टीस लेकर वे गए हैं कि आख़िर क्यों?
अपने एक इंटरव्यू में उन्होंने अपने इस दुःख का इज़हार किया था, उनके ही शब्दों में “भारत में फिल्मों के सौ वर्ष पूरे होने पर बड़ा कार्यक्रम रखा गया था जिसमें उन सभी को याद किया गया जिनका इस इंडस्ट्री में योगदान रहा। मैं भी टीवी के सामने बैठा इंतज़ार कर रहा था कि मेरा नाम भी आएगा लेकिन किसी ने ज़िक्र तक नहीं किया, बुलाना तो दूर की बात है। क्या मैंने इतना भी काम नहीं किया है कि मेरा नाम लिया जाए?”
वाकई, बात सोचने वाली है। मोहम्मद अज़ीज़ जिन्हें मुन्ना अज़ीज़ भी कहा जाता है, एक ज़माने में सभी के चहेते थे, संगीतकारों के भी और श्रोताओं के भी। 1985 से लेकर 1990 तक का समय उन्हीं के नाम था। हर फ़िल्म में उन्हीं के गीत होते थे। लक्ष्मीकांत – प्यारेलाल ने उस दौर में सबसे ज्यादा अज़ीज़ से ही गवाया था जबकि सानू युग में भी उन्होंने कुमार सानू से 1 या 2 गीत ही गवाए हैं। माना कि 80 का दशक संगीत के लिहाज से कमज़ोर माना जाता है पर आज के दौर के मुकाबले तो वो भी महान ही था और अज़ीज़ ने कुछ बहुत ही यादगार गीत उस दौर में गाए हैं। वे सीखे हुए गायक थे इसलिए उनमें कलात्मकता भी थी और उनकी रेंज भी अच्छी थी। मुझे उनके कुछ गीत तो बेहद पसंद हैं। आप फ़िल्म “आख़िर क्यों” का गीत “एक अंधेरा लाख सितारे” सुनिए, बड़ी शिद्दत से गाया है उन्होंने।
90 का दशक शुरू होते ही उन्हें अचानक ही भुला दिया गया। उनका कहना था कि मैंने “खुदा गवाह” में हिट गीत दिए फिर भी उसके बाद अचानक ही मुझे काम मिलना बंद हो गया।
जो भी हो सुनने वाले तो उन्हें हमें याद करेंगे ही। 27 नवम्बर 2018 को ये टीस दिल में लिए ही वे इस दुनिया से विदा हो गए। हमारी ओर से उनकी पुण्यतिथि पर हार्दिक श्रद्धांजलि।
नोट: इस बारे में और विस्तार से जानने के लिए "सिनेमा सप्तक" पढ़ें। 😉
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